Thursday, June 23, 2005

प्रतीक्षा

इस प्रतीक्षा मे कि मेरा मौन ही मुखरित होगा तुम्हारे सामने एक दिन,
मैं चुप रहा।
और तुम, अन्ततः तलाशते रहे मुझे शब्दों मे ही।

- तरुण 'निशांत'

1 Comments:

Blogger Amit Mohanty said...

रजनीश । आप कब वपस आ रहे है? आपका ब्लोग बहुत आच्छा है !

7:37 AM  

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