प्रतीक्षा
इस प्रतीक्षा मे कि मेरा मौन ही मुखरित होगा तुम्हारे सामने एक दिन,
मैं चुप रहा।
और तुम, अन्ततः तलाशते रहे मुझे शब्दों मे ही।
- तरुण 'निशांत'
मैं चुप रहा।
और तुम, अन्ततः तलाशते रहे मुझे शब्दों मे ही।
- तरुण 'निशांत'
1 Comments:
रजनीश । आप कब वपस आ रहे है? आपका ब्लोग बहुत आच्छा है !
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